Tuesday, October 31, 2017

पंडित-पुजारी से शादी करने पर 'वधू' को 3 लाख रुपये देगी तेलंगाना सरकार!

इन दिनों ऐसा क्यों हो रहा है कि दूसरों का विवाह करवाने वाले पंडितों की शादी में रोड़े पड़ रहे हैं। हालात यह हो चुके हैं कि पंडित-पुजारियों की शादी होना मुश्किल हो गया है।


ऐसे में सरकार पंडित-पुजारियों से शादी करने पर दुल्हन को तीन लाख रुपये तक देने का विचार कर रही है। तेलंगाना में पहले-पहल राज्य सरकार पंडित-पुजारियों से विवाह करने को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष योजना ला रही है। तेलंगाना सरकार उन कन्याओं को 3 लाख रुपये की पेशकश करेगी जो मंदिर में पुजारी के रूप में काम कर रहे व्यक्ति से विवाह करेंगी। इस प्रोत्साहन योजना के पीछे के कारणों को समझाते हुए उनका कहना है कि यह व्यवस्था विशेष तौर पर युवा ब्राह्मण पुरुषों के लिए की गई है। पुजारी के रूप में काम करने वाले इन युवाओं से विवाह करने पर दम्पति को एक निश्चित जमा राशि के रूप में संयुक्त रूप से तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। सिर्फ इतना ही नहीं,सरकार शादी समारोह आयोजित करने के लिए 1लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी करेगी। 

तेलंगाना ब्राह्मण संक्षेम परिषद् के अध्यक्ष के.वी.रमणाचार्य का इस योजना पर कहना है "पुराने ज़माने के उलट आज के दौर की लडकियां अधिक महत्त्वाकांक्षी और होने वाले पति के चयन को लेकर ज्यादा 'चूजीहैं। लडकियां सॉफ्टवेयर इंजीनियर लड़कों की अनिश्चित नौकरियों के कारण जब उनसे ही विवाह करने को राजी नहीं है, ऐसे में मंदिरों में काम करने वाले युवा ब्राह्मण पुजारियों के लिए उपयुक्त लडकियां खोजना इससे भी ज्यादा मुश्किल है। क्योंकि आज के बदलते समय में समाज में उनका बहुत सम्मान नहीं बचा है। समाज में उन्हें देखने की नज़र में काफी बदलाव आया है।" 

हकीकत में यह एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही हैं। आज संस्कृत पढ़ने के बाद पौरोहित्य कर रहे सैकड़ों युवा भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। धोती-कुर्ता तथा तिलक-चन्दन धारण करने से उन्हें आधुनिकता के दौर में 'पिछड़ामाना जा रहा हैजिससे उन्हें 'पत्नीमिलने में काफी कठिनाइयां उठानी पड़ रही है। दिल्ली के श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ के कुलपति प्रो. रमेशकुमार पांडेय का मानना है कि इस योजना से संस्कृत को बचाने वाले लोगों को भी बल मिलेगा। पौरोहित्य तथा कर्मकांड कर रहे युवाओं में इस काम के प्रति अनास्था के बदले आस्था बढ़ेगी। साथ हीसंस्कृत में वेदज्योतिषसाहित्य और व्याकरण पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा होगा।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चन्द्रशेखर राव के सलाहकार रमणाचार्य का कहना है कि "कोई भी माता-पिता अपनी बेटी की शादी मंदिर के पुजारी से नहीं करना चाहते हैं। नतीजतनअनेक पुजारी बड़ी आयु हो जाने पर कुवारें रह जाते हैं। सरकार की यह योजना इस स्थिति में कारगर होगी। इस योजना के तहत लड़कियों को कुछ वित्तीय सहायता सरकार देगी जिससे वे पुजारियों से शादी करने के लिए आगे आ सकेंगी।'

सरकार की ओर से 'कल्याणमस्तुनामक यह योजना नवंबर में शुरू हो रही है। दूल्हा और दुल्हन के एक संयुक्त खाते में तीन साल तक बैंक में  तीन लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा रखे जाएंगे। सरकार का यह भी कहना है कि तीन वर्ष तक पति-पत्नी को किसी प्रकार की वित्तीय परेशानी न होइसका भी ख्याल रखा जायेगा। जो माता-पिता अपनी बेटी की शादी पुजारी से करना चाहेंवे दूल्हा और दुल्हन की पूरी जानकारी के साथ इस योजना में फार्म भरकर आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत सहायता पाने वाले की संख्या की कोई सीमा नहीं है। आवेदन करने वाले सभी योग्य आवेदकों को शादी के प्रोत्साहन के 3 लाख रुपये के साथ 1 लाख रुपये शादी खर्च के लिए भी दिया जाएगा।


राज्य में मंदिरों के  4,805 पुजारियों को इसी नवंबर से सरकारी पे-स्केल के बराबर वेतन देने की घोषणा तेलंगाना सरकार पहले ही कर चुकी है। पिछले महीने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने घोषणा की थी कि सभी अर्चकों और अन्य मंदिर कर्मचारियों को हर महीने सरकारी कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलेगा। उन्होंने यह घोषणा भी की थी कि जब भी अन्य सरकारी कर्चारियों का वेतन संशोधन होगा तो पुजारियों को भी बढ़ा हुआ वेतन तथा भत्ते देय होंगे।

इस योजना पर सरकार का विश्वास है कि इससे मंदिर के पुजारी तथा समाज में पौरोहित्य करने वाले युवा सम्मानजनक स्थान प्राप्त करेंगे और आने वाले दिनों में उन्हें 'वधूभी मिल सकेगी।

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